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Friday 9 December 2011

ROSES!!!




फूल!! कितना कुछ कह जाते हैं, बिना कुछ कहे. 
हर एक पल जब शब्द ना कह पाए
कह जाते है वही दास्ताँ
बिना कुछ कहे !!



चाहे खुशियाँ हो साथ,
या गम का हो हाथ,


जो आँखों में और दिल में छुपा हो,
उसे बयान कर देते है, जब शब्द ना कह पायें !!
प्यार का हो फलसफा, या दर्द की हो दास्ताँ,
कह जाते है, बिना कुछ कहे!!

Thursday 8 December 2011

दुआ !!!


दुनिया में कमिनियत भर-भर कर भरी हुई है. कोई इस से बच नही सकता. बच्चों को हमेशा सिखाया जाता है कि अच्छे इन्सान बनो, मगर किस लिय?? यहाँ तो जब तक साम-दाम-दंड-भेद कि नीति न अपनाई जाये तब तक जीना मुश्किल है!!

बच्चे सच्चे मन के होते है इसलिय सब पर विश्वास कर लेते हैं, लेकिन बाहर निकलने पर ही तो सीखते हैं कि हर कोई विश्वास के लायक नही होता. और मिश्री में घुले शब्दों का जो प्रयोग करे वो तो कभी भी विश्वास के लायक नही होगा.

बच्चों को कितना सिखाया जाता है, अच्छी बाते बोलो, अच्छा व्यवहार करो, अच्छे काम करो....लेकिन दुनिया के सामने आने पर सारी बेईमानियाँ भी सिखाई जाती हैं ताकि कोई बच्चों को बच्चा समझ कर मुर्ख न बना दे! हम ही तो सिखाते है सारे गलत रस्ते भी, फिर दुनिया में अच्छाई की जगह ही कहाँ रह जाएगी? 

सब मतलबी लोग है आस-पास, मतलबी ही रहेंगे.. हालात बुरे ही होते जाएँगे. फिर भी दिलो में कहीं  न कहीं सच्चाई जरुर बसनी चाहिए, कमिनियत भले ही हो मगर प्यार भी, सहानुभूति भी, दरियादिली भी, थोड़ी बहुत कहीं दिल के किसी कोने में मिलनी तो चाहिए.................बस!! यही दुआ है!!