आज सुबह बस में एक माँ और बेटा चढ़े !! ज्यादातर बस में आने वाली सवारियों पर मेरा ध्यान नही जाता , लेकिन इन दोनों पर था ....... बस पूरी भरी हुई थी तो इन दोनों के लिय कोई सीट खाली नही थी . सो माँ मेरे पास आकर खड़ी हो गयी . दोनों आपस में कुछ बाते कर रहे थे . बेटा किसी बात के लिए अनुमती लेना चाह रहा था माँ से। माँ सारी सिचुएशन को समझ कर सोचकर जवाब दे रही थी।
माँ सारी सिचुएशन को समझती ..... सिर हिलाती रहती , फिर सोच समझ कर किसी पर हाँ और किसी पर ना बोल देती, कि इसकी अभी तुम्हें जरुरत नही है।
ऐसा लग रहा था जैसे मेरी माँ सामने हो। दुनिया में शायद सारी माँ अपने बच्चों के लिए एक जैसी होती हैं। ऐसी ही तो थीं वो भी। गोल-मटोल सी , प्यारी सी , सुन्दर सी, गोरी सी, अंगूठियाँ पहने सुन्दर हाथ, नैल्पोलिश मेहँदी लगे हुए, बिना कोई मेक-अप , साधारण सी, लेकिन फिर भी खास!