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Friday 2 September 2011

यूँ ही कोई मिल गया था !!

अचानक कोई दिल को भा जाये!! कैसा लगता है?? मुझको भी पहले कभी समझ नही आया था, कि अचानक कोई दिल को कैसे भा सकता है? ओर कभी सोचा भी नही था, कि किसी दिन अचानक, यूँ ही, कोई मेरे दिल को भी भा जाये !! ऐसी कोई ख्वाहिश दिल में कभी जगी नही. पर हुआ साहब! एक दिन अचानक यूँ ही ये भी हुआ! कैसे हुआ? 

रोज़ कि तरह, मै कॉलेज से घर लौट रही थी. अपने ही बहुत से खयालों में खोई हुई थी, और इस कदर खोई थी कि सड़क पर क्या हो रहा है इसकी कोई खबर नही थी. सड़क शायद लगभग ख़ाली ही थी, और अगर नही भी थी तब भी मुझे तो ख़ाली ही दिख रही थी. ऐसा कुछ खास हुआ नही था, जिसकी वजह से मै किन्ही ख़यालों में खोई होऊ. ये मेरी आदत है बस कि सड़क पर अपने ख़यालों में ही चलती हूँ अधिकतर! फर्क इतना ही था कि रोज़ सड़क पर चलने वाले हर शख्स पर भी ध्यान  रहता है जो कि आज नही था ! क्यों नही था, इसका जवाब मेरे पास भी नही है.

  
तो बस सड़क ख़ाली थी मेरे लिए, चाहे जैसे भी थी! सड़क कुछ घुमाव लिए हुए थी, बायीं ओर. और जैसे ही मै उस घुमाव तक पहुची, अचानक से जो सड़क मेरे लिए ख़ाली थी वो अब भर गयी थी! मेरी ही तरफ मुझसे कुछ दूरी पर मुझे अब एक सिटी बस नज़र आ रही थी, बस स्टॉप पर रुकी थी और सवारियां उसमे बैठ रही थी. अगर आगे चलकर मेने गाड़ी नही मोड़ी तो जरुर मुझको उस सिटी बस में घुस जाना था! 

सामने की तरफ से, यानि की रोंग साइड पर भी अब लोग नज़र आ रहे थे. और जब नज़र सामने से आ रहे लोगों पर पड़ी, तो वही नज़र आ गया, अचानक से, यूँ ही कोई, जो दिल को भा गया!! बस नज़र से नज़र मिली और तब तक नहीं हटी जब तक की दोनों की गाड़ियाँ दूर ना ले गयीं. ऐसा लग रहा था जैसे सड़क पर अचानक से फूलों की बरसात होने लग गयी हो! सारी दुनिया जैसे स्लो मोशन में चली गयी हो! और एक-एक जाता हुआ लम्हा जैसे हकीकत न होकर सपना हो! मै सब कुछ भूलकर बस उसको देखती ही रह गयी!! " ओह!! ये कितना अच्छा था! " बस मेरा दिल इतना ही बोल पाया था उसके ख़यालों में! 

जब तक उसके ख्याल से बाहर आई तब देखा  " सौम्या आगे बस है!"


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